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सूफ़ी लेख
हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
मियाँ नूर बख़्श महारवी से मंक़ूल है कि कोट मट्ठन के क़रीब एक क़ाज़ी साहिब रहते
मुनादी
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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औघट शाह वारसी और उनका कलाम
आप अपने आख़िरी दिनों में पटना में अ’ली वारिस खां जगदीशपुरी के मकान पर ठहरे थे.
सुमन मिश्र
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हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
कुछ दिनों के बा’द उनके पीर ने ख़्वाजा अ’ली हुज्वेरी से कहा कि लाहौर में जाकर
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
उसी दौरान सुल्तान महमूद को अपनी ग़लती और अ’हद-शिकनी का एहसास हुआ। एक मर्तबा ख़्वाजा हसन
ज़माना
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हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
वो ज़माना ऐसा था कि चाहे शिवाजी हो या औरंगज़ेब गोलकुंडा का सुल्तान हो या बीजापुर
मुनादी
सूफ़ी लेख
पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
आपका इंतिक़ाल 1 रजब 1394 हिज्री मुवाफ़िक़ 22 जुलाई 1974 ई’स्वी को दानापुर में हुआ। नमाज़-ए-जनाज़ा
अब्सार बल्ख़ी
सूफ़ी लेख
समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
ये सूफ़िया-ए-किराम की पाकीज़ा ता’लीमात की ही देन है कि आज भी दुनिया में सालों भर
रहबर मिस्बाही
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हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
गो हम अपने मौज़ूअ’ से कुछ अलग ज़रूर हो रहे हे हैं लेकिन ये इसलिए कि