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सूफ़ी लेख
ख़्वाजा सय्यद नसीरुद्दीन चिराग़ देहलवी
मल्फ़ूज़ातहज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद के 2 मल्फ़ूज़ात मशहूर-ए-ज़माना हुए।
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
रहेगा ज़िक्र मिरा क़िस्सा-ओ-फ़साना में।मुझे भी याद करेंगे किसी ज़माना में॥
मुनादी
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
‘पास’ हो सकती नहीं तफ़्सील इस इज्माल कीमो’तक़िद उस्ताद का मेरे ज़माना हो गया
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
इक ज़माना चश्म-ए-मूसा बन गया है ऐ हसींअल्ला-अल्लह – क्या तजल्ली तेरे रुख़्सारों में है
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
वो अदा-ए-दिल-बरी हो कि नवा-ए-आ’शिक़ानाजो दिलों को फ़त्ह कर ले वही फ़ातेह-ए-ज़माना
मुनादी
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह-ए-दौला साहब-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
शाह सय्यदा साहब:जिस ज़माना का हम ज़िक्र करते हैं ये वो ज़माना है जब कि ग्यारहवीं
सूफ़ी
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
मैंने ये भेद न पाया कि ख़ालिक़ ने मुझे क्यों बनाया।उ’र्फ़ी के हम-अ’स्रों को इस बात
ज़माना
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
हमारे सूबा-ए-बिहार में शहसराम को ख़ास दर्जा हासिल है।यहाँ औलिया ओ अस्फ़िया और शाहान ए ज़माना
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
तज़्किरा-निगारों का बयान है कि गंज-बख़्श के नाम से शोहरत का सबब यही है।अ’वाम दाता बख़्श