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सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
हज़रत शाह तुराब अली क़लन्दर के बारे में एक कहानी काकोरी और लखनऊ में बड़ी प्रसिद्ध
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
कोई सिख दाढ़ी नहीं मुंडवाता न कतरवाता है।ये भी अ’लामत वहदत की है,क्यूँकि क़ौम एक शक्ल
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
हम ज़े वय आमोज़ परस्तिश गरी।।ख़ुसरो ख़ानदानी रिवायत के ब-मोजिब शाही दरबार से वाबस्ता ज़रूर रहे
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?
“एक शख़्स ने हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की ख़िदमत में ‘अर्ज़ किया कि मैंने एक मो’तबर शख़्स
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
“मेरे बचपन के अक्सर औक़ात ख़ानक़ाह सज्जादिया,शाह टोली में गुज़रा है।दारुल-उलूम नदवा की छुट्टी पर आते
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद के मुर्शिद और चिश्ती उसूल-ए-ता’लीम-प्रोफ़ेसर प्रीतम सिंह
(2) आप पर इस्तिग़राक़ का इस क़दर ग़लबा था कि आपको अपने फ़र्ज़न्द की सेहत-याबी के
मुनादी
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समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
आप फ़रमाते हैः “कि एक मर्तबा मैं इ’राक़ में दुनिया को हासिल करने और उसे (हाजत-मंदों
रहबर मिस्बाही
सूफ़ी लेख
क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल
ये तो ज़ाहिर है कि अब पुरानी क़व्वाली को अपनी असली शक्ल में पहले जैसी मक़्बूलियत