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सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
ब- गुफ़्तम कि दस्तम ज़े दामन मदारब-तन्हा न-दानद शुदन तिफ़्ल-ए-ख़ुर्द
एजाज़ हुसैन ख़ान
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Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
ब-हर वादी रवाँ तन्हा व बे-कसगह अज़ मिस्र व गह अज़ बैत-उल-मक़दस
सुमन मिश्रा
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हज़रत सयय्द अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी का पंडोह शरीफ़ से किछौछा शरीफ़ तक का सफ़र-अ’ली अशरफ़ चापदानवी
हिन्दुस्तान की तरफ़ कूचः-अपनी मादर-ए-मेहरबान ख़दीजा बेगम के हुक्म के ब-मूजिब जो अपने वक़्त की राबिआ’
सूफ़ीनामा आर्काइव
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फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
“फ़िरदौसी ने अपने मुल्क को अदबियात से ख़ाली पाया और उसने एक ऐसी नज़्म छोड़ी है
ज़माना
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हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
अगली सुब्ह को सबकी सवारी के लिए ताज़ा-दम घोड़े आ गए। हज़रत निज़ामुद्दीन को जो घोड़ा
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
हज़रत मौलाना साहिब रहमतुल्लाहि अ’लैह की ख़िदमत में पहली हाज़िरीअगले दिन सुब्ह हम दोनों (आप और
मुनादी
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
कि उनकी फ़य्याज़ियाँ और करम-गुस्तरियाँ अपने और पराए का फ़र्क़ नहीं करतीं और हर कस-ओ-ना-कस के
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
हम आवाज़-ए-जरस की तर्ह से तन्हा भटकते हैं।।एक और चीज़ जिसने ज़फ़र को मक़्बूल-ओ-महबूब बनाया वो
मुनादी
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क़व्वाली का मजमूई तास्सुर
क़व्वाली एक टोली का गाना है और टोली चंद अफ़राद के इत्तिहाद का नाम हिन्दोस्तान में
अकमल हैदराबादी
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हिंदुस्तान की तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात
इनके बाप दादा को खोपडि़यों के मीनार बनाने का बहुत शौक था और अब इनके सर
क़ुर्बान अली
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तज़्किरा हज़रत शाह तसद्दुक़ अ’ली असद
आपकी हम-शीरा मोहतरमा को हज़रत चमन शाह क़ादरी से बैअ’त हासिल थी, आपको दीवान-ए-हाफ़िज़ और दीवान-ए-साइब
इल्तिफ़ात अमजदी
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क़व्वाली में ख़वातीन से मुक़ाबले
बीसवीं सदी छठी दहाई में जब पहली ख़ातून क़व्वाल शकीला बानो भोपाली ने क़व्वाली के मैदान
अकमल हैदराबादी
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तज़्किरा यूसुफ़ आज़ाद क़व्वाल
इस्माई’ल आज़ाद के हम-अ’स्रों में सबसे ज़्यादा शोहरत यूसुफ़ आज़ाद को नसीब हुई। यूसुफ़ एक इंतिहाई