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सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद शकर गंज का कलाम-ए- मा’रिफ़त-प्रोफ़ेसर गुरबचन सिंह तालिब
हज़रत बाबा फ़रीद साहिब का मक़ाम ब-हैसियत एक रुहानी पेशवा के हिन्दुस्तान भर में मुसल्लम है।
मुनादी
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उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
A.मोहम्मद नादिर अ’ली बरतरआज फिर तक़दीर चमकी तालिब-ए-दीदार की
सुमन मिश्रा
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हज़रत मुल्ला बदख़्शी- पंडित जवाहर नाथ साक़ी देहलवी
ख़ुद गुफ़्त कि अज़ सूफ़ी-ओ-लामज़हब लहमस्त-ए-दीदार तालिब-ए-ख़ुम न-शवद
निज़ाम उल मशायख़
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यद शाह अ’ज़ीज़ुद्दीन हुसैन मुनएमी
जा-नशीन शुद रज़ीद्दीन बर खु़र्द-ए-ऊदर हक़-ए-तालिब वजूदश ईं बुवद ने’मल-बदल
रय्यान अबुलउलाई
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हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
या ख़ुदा तालिब-ए-इक्सीर को इक्सीर मिलेहम को ख़ाक-ए-दर-ए-जानानाँ मुबारक बाशद
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
कौन सा दिल है जो आप का बीमार नहींकौन सी आँख है जो तालिब ए दीदार नहीं .
सुमन मिश्रा
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सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
रूठता हूँ तो मुझे आ के मनाते क्यों होकुछ मैं मूसा की तरह तालिब-ए-दीदार नहीं
सुमन मिश्रा
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बिहार में क़व्वालों का इतिहास
तालिब-ए-वस्ल न हो आपको बे-दाद न करहौसला हद से ज़्यादा दिल-ए-नाशाद न कर
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत ख़्वाजा गेसू दराज़ चिश्ती अक़दार-ए-हयात के तर्जुमान-डॉक्टर सय्यद नक़ी हुसैन जा’फ़री
मुनादी
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लिसानुल-ग़ैब हाफ़िज़ शीराज़ी - मोहम्मद अ’ब्दुलहकीम ख़ान हकीम।
दर देह क़दह कि मौसम-ए-नामूस-ओ-नाम रफ़्त’..की तश्रीह यूँ करते हैं कि तालिब का इंतिज़ार ही एक
निज़ाम उल मशायख़
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बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
इस दौरान अपने पीर-ओ-मुर्शिद से बहुत दूर हो गए। जब ज़िंदगी ढलने लगी तो आवाज़ भी
सुमन मिश्रा
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सतगुरू नानक साहिब
अगर तुम दिली रग़बत और मोहब्बत से तालिब हो कर कलाम-ए-हक़ सुनोगे और नेक-आ’माल में मसरूफ़