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सूफ़ी लेख
संत रोहल की बानी- दशरथ राय
ओअहं सोअहं बेकथा, अजपा जाप प्रकास। अंतर धुन लगी आत्मा, निहचै भयो विसास।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
मन माता बहु रूप वेंज अपबस करि लीन्हाँ।।उठा सब्ब घनघोर तूर अनहद धुन बाजा।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
आज तनिक मुरली धुन सुनते, फिरत है मधुबन बही बहीमुरली सुन भौचक भई बोरी, मुरली वाले की कौन कही
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
आज तनिक मुरली धुन सुनते, फिरत है मधुबन बही बहीमुरली सुन भौचक भई बोरी, मुरली वाले की कौन कही
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
इस दौरान अपने पीर-ओ-मुर्शिद से बहुत दूर हो गए। जब ज़िंदगी ढलने लगी तो आवाज़ भी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
(यादगार-ए-रोज़गार, स० 862)इस दौरान वो अपने पीर-ओ-मुर्शिद से दूर हो गए। जब उनकी ज़िंदगी ढलने लगी,
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
हम पर कोई मरता है तो हम में कुछ हैपीर नसीर में बहुत सी ख़ूबियाँ थी।
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
Malangs of India
माही और मरातिब के अलावा मलंग अपने साथ पंजतन, छड़ी( जो कभी कभी नुकीली भी होती
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
अब हमारे बुनियादी दस्तूर या संविधान ने हुक्म-ए-फ़ैसल दे दिया है। हिंदी को सरकारी ज़बान के
मुनादी
सूफ़ी लेख
याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
हम आवाज़-ए-जरस की तर्ह से तन्हा भटकते हैं।।एक और चीज़ जिसने ज़फ़र को मक़्बूल-ओ-महबूब बनाया वो
मुनादी
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सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ - मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हिंदुस्तान की तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात
” अमीर ख़ुसरो फ़ारसी के अव्वल दर्जे के शायर थे और संस्कृत भी बख़ूबी जानते थे।
क़ुर्बान अली
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हज़रत बख़्तियार काकी रहमतुल्लाहि अ’लैह - मोहम्मद अल-वाहिदी
इसी क़िस्म के और बहुत वाक़िआ’त पेश आते रहे लेकिन वो सब इस छोटे से मज़मून
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और अमीर ख़ुसरो – अहमद हुसैन ख़ान
फ़न्न-ए-मौसीक़ी या राग बजाए ख़ुद निहायत दिलचस्प फ़न है। आवाज़ की मुख़्तलिफ़ बुलंदियों को सात मदारिज
सूफ़ीनामा आर्काइव
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क़व्वाली में तराना के बोल
यल्ला ली यल्ला ली यल्ला अल्लाह मन कंतु मौलातराना के बोल बे माना होते हैं और