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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
काया धूप दीप नैवेदा,काया पूजों पाती।।1।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-धूप(104) पीके नाम से बिकत है, कामिन गोरी गात।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-धूप (104) पीके नाम से बिकत है, कामिन गोरी गात।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुमाणरासो का रचनाकाल और रचियता- श्री अगरचंद नाहटा
पुहप धूप प्रम्मले, सेस सल व्वले जीह लल।। धुम्र नेत्र परजले अंग, अक्कले अतुल बल।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
Sheikh Naseeruddin Chiragh-e-Dehli
ग़यासपुर स्थित हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की ख़ानक़ाह-गर्मियों का मौसम था और दिल्ली गर्म तवे की तरह
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
“दरख़्त ख़ुद तो धूप में खड़ा रहता है लेकिन दूसरों को साया देता है।लकड़ी ख़ुद तो
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
कहि रविदास कवन गति मोरी।।अर्थात् दूध को तो बछडे ने गाय के थन में ही गदा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मंसूर हल्लाज
हज़रत मंसूर हमेशा से बड़े आ’बिद,ज़ाहिद शख़्स थे। एक मा’मूल उनका ये था कि दिन-रात में
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की तीसरी क़िस्त
ये चार वाक्य यद्यपि बहुत संक्षिप्त है, तथापि भगवान् की पूर्णता को सूचित करने वाले हैं।
सूफ़ीनामा आर्काइव
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मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
डन में गूढ़भाव हैं। उथल पुथल बरसाती बाढ़। न हेमन्त न बसन्त। दृष्टि पैनी है गहरी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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अभागा दारा शुकोह - श्री अविनाश कुमार श्रीवास्तव
राजपूताने में हताश होने पर भी दारा को औरंगजेब से लड़ना पड़ा क्योंकि शत्रु देवराय नामक
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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अभागा दारा शुकोह
राजपूताने में हताश होने पर भी दारा को औरंगजेब से लड़ना पड़ा क्योंकि शत्रु देवराय नामक