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सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
याक़ूब ख़ाँ के बाद उन के बेटे युसूफ़ ख़ाँ और फिर उन के लड़के मिस्री ख़ाँ
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हिंदुस्तान की तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात
अमीर ख़ुसरो ने इस ज़बान को नया रंग-रूप दिया।एक तरफ़ जहाँ उन्होंने अपनी शायरी मैं फ़ारसी
क़ुर्बान अली
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
सूफ़ी दरगाहों पर उर्स के दौरान कई रस्में होती हैं जिनका ज़िक्र गाहे-ब-गाहे होता रहता है.
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
“तुम समझते हो कि बरहमन हो, इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारी इस दग़ा-बाज़ी के लिए मुआ’फ़ कर
मुनादी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
ख़ुलासा-ए-कलाम ये कि आपकी ज़ात जामे’–ए-कमालात सुवरी-ओ-मा’नवी थी। या यूँ कहें कि इस पर्दा के पीछे
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-खैर : हज़रत शाह अय्यूब अब्दाली
आमदम बर-सर ए मतलब! हज़रत शाह अब्दुल क़ादिर अबुल उलाई के बिरादर-ज़ादा और हज़रत सय्यद शाह