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सूफ़ी लेख
याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
कहाँ जाके देखूँ मैं जाऊँ किधर मिरा चैन गया मिरा नींद गई––––––––––––
मुनादी
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
घोट कर दम अपना गहरी नींद सो जाते वहींहाथ आ जाती जो परछाई तेरी तलवार की
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगाओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
ये नींद जो आवत है मौत की याद दिलावत है।। धन पर जो बल करते हैं मूरख हैं इतराते हैं।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
जिसे कहिए ख़्वाब-ए-ग़फ़्लत सो वो नींद हमको आईयहाँ मैं रहा हूँ जब तक तो सुख़न नियाज़ बोलूँ
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत ख़्वाजा गेसू दराज़ चिश्ती अक़दार-ए-हयात के तर्जुमान-डॉक्टर सय्यद नक़ी हुसैन जा’फ़री
मा’मूलात-ए-शबः फ़रमाते हैं- “सालिकों की नींद भी एक ख़ास क़िस्म की होती है।वो सोएँ तो अपने
मुनादी
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कबीर दास
दुखिया दास कबीर है जागै और रोवैसारी दुनिया ख़ुशी की ज़िंदगी बसर करती है आराम से
ज़माना
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पदमावत की एक अप्राप्त लोक कथा-सपनावती- श्री अगरचन्द नाहटा
सपनावती की लोक वार्ताधारा नगरी का राजा भोज एक रात मीठी नींद ले रहा था। उसने
सम्मेलन पत्रिका
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बाबा फ़रीद शकर गंज
सुब्ह हो जाती है गर्चे हज़ारों ज़ाइर शाद-काम हो जाते हैं। ता-हम सैकड़ों अभी बाक़ी होते
निज़ाम उल मशायख़
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आचार्य चन्द्रबली पांडे एवं उनका तसव्वुफ अथवा सूफ़ीमत डॉ. इन्द्र पाल सिंह
सूफीमत पर लिखा गया पांडे जी का यह ग्रंथ अपने विषय पर आप्त और प्रमाणिक है।