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सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
जो इन्सान अपने आपको नहीं समझ सकता वो अपने पैदा करने वाले को कहाँ जान सकता
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
कबीर दास
जम दरवजवा बांध जाले जावे पकराऐ जोगी तूने अपने दिन को नहीं रंगाया सिर्फ़ कपड़ा रंगा
ज़माना
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
यूसुफ़ दिल ही दिल में अल्लाह से दुआ’ कर रहे थे, ऐ रब मुझे जेल अ’ज़ीज़