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सूफ़ी लेख
अमीर खुसरौ को हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की छूट
‘’वज्द एक हक़-परस्त पर भी वैसा ही असर करता है, जैसा बातिल-परस्त पर । दोनों क़िस्म
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
कबीर दास
जम दरवजवा बांध जाले जावे पकराऐ जोगी तूने अपने दिन को नहीं रंगाया सिर्फ़ कपड़ा रंगा
ज़माना
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
क्यों गुरु बाबा इस में आप क्या फ़रमाते हैं? फ़रमाया हम निरंकारी हैं (या’नी बे-शक्ल ख़ुदा
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
(2) हज़रत गेसू-दराज़ को एक ऐसे दौर में काम करना पड़ा था जब अफ़्क़ार-ओ-नज़रियात का ज़बरदस्त
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
ताजुल-आ’रिफ़ीन मख़दूम शाह मुजीबुल्लाह क़ादरी – हकीम शुऐ’ब फुलवारवी
और आतिश-ए-इ’श्क़-ए-नबवी सल्लल्लाहु अ’लैहि वसल्लम जो एक छुपी आग की तरह दिल ही दिल में मुश्तइ’ल
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
समाअ’ और आदाब-ए-समाअ’- मुल्ला वाहिदी देहलवी
दूसरी क़िस्म समा’अ की निहायत मज़मूम है और वो ये है कि किसी औ’रत या लड़के