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सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
व ईं बैत दर ख़िताब-ए-शम्सुद्दीन जोवैनीयक़ीनु क़ल्बी इन्नी अनालू मिन्का ग़िना
एजाज़ हुसैन ख़ान
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
ये बैत पढ़ते आप बाहर (दरबार से) निकलेईं हमा तम-तराक़ कुन-फ़यकुम
रय्यान अबुलउलाई
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यद शाह अ’ज़ीज़ुद्दीन हुसैन मुनएमी
नुमूदः अदा हज्ज-ए-बैत-ए-ख़ुदापस अज़ हज तवाफ़-ए-मज़ार-ए-रसूल
रय्यान अबुलउलाई
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Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
ब-हर वादी रवाँ तन्हा व बे-कसगह अज़ मिस्र व गह अज़ बैत-उल-मक़दस
सुमन मिश्रा
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हकीम सफ़दर अ’ली सफ़ा वारसी
मोहम्मद मुस्तफ़ा और अहल-ए-बैत अस्हाब सब उनकेक़दम रंजा हैं फ़रमाते जो दिन तारीख़-ए-पहली का
जुनैद अहमद नूर
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हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
दिल में है मुझ बे-अ’मल के दाग़-ए-इ’श्क़-ए-अहल-ए-बैतढ़ूँड़ता फिरता है ज़िल्ल-ए-दामन-ए-हैदर मुझे
सूफ़ीनामा आर्काइव
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दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
“मैंने बैत और अश्’आर बहुत से कहे हैं और एक दीवान भी कहा है।.... आपकी एक मशहूर ग़ज़ल हस्ब-ए-ज़ैल है।ग़ज़ल
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
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हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया सुहरावर्दी रहमतुल्लाह अ’लैह
अज़ पहलू-ए-ख़ुद कबाब ख़ुरदंदजब इस बैत की तकरार की तो हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया रहमतुल्लाह अ’लैह
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
हज़रत शैख़ हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैह ने उस क़ौल की ताईद की है कि मलामत आ’शिक़ों के
सूफ़ीनामा आर्काइव
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क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल
वाइ’ज़ के बा’द का दौर नई तरक़्क़ी-पसंद शाइ’री, फ़िल्म और जासूसी नाविल का दौर था।इसलिए इन