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हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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वेदान्त - मैकश अकबराबादी
संहिता या’नी चारों वेदों के बा’द जो किताबें वेदिक अदब में क़ाबिल-ए-एहतिराम हैं वो बरहमन हैं
मयकश अकबराबादी
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महफ़िल-ए-समाअ’ और सिलसिला-ए-वारसिया
अ’रबी ज़बान का एक लफ़्ज़ ‘क़ौल’ है जिसके मा’नी हैं बयान, गुफ़्तुगू और बात कहना वग़ैरा।आ’म
डॉ. कबीर वारसी
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आदाब-ए-समाअ’ पर एक नज़र - मैकश अकबराबादी
इन सब क़ैदों से मक़सूद सिर्फ़ एक है और वो ये कि जमई’यत-ए-ख़ातिर और मज़ाक़-ए-सोह्बत को
मयकश अकबराबादी
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हज़रत बख़्तियार काकी रहमतुल्लाहि अ’लैह - मोहम्मद अल-वाहिदी
अल-क़िस्सा सारी उ’म्र ज़ौक़-ए-समाअ में गुज़री।लोगों ने हर-चंद तरह तरह के ख़लजान पैदा किए और आपको
निज़ाम उल मशायख़
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बाबा फ़रीद के मुर्शिद और चिश्ती उसूल-ए-ता’लीम-प्रोफ़ेसर प्रीतम सिंह
(6) कहते हैं कि शैख़ क़ुतुबुद्दीन (रहि.) ने बाबा फ़रीद को चिल्ला-ए-मा’कूस करने की हिदायत फ़रमाई
मुनादी
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हज़रत बाबा फ़रीद के ख़ुलफ़ा
शैख़ निज़ामुद्दीन ने बड़ी मेहनत और दीदा-रेज़ी से ता’लीम हासिल की और जल्द ही देहली के
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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लखनऊ का सफ़रनामा
इसकी सैर कराने वाले ने हमें एक एक जगह की तफ़्सील और तारीख़ी कुन्हियात बतलाई। नवाब
रय्यान अबुलउलाई
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
एक मुहक़्क़िक़ हक़ायक़ को बे-नक़ाब करता है, एक रहबर उस को सरीउ’ल-फ़ह्म बनाता और अवाम तक
मयकश अकबराबादी
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मयकश अकबराबादी जीवन और शाइरी
“हिंदू तहज़ीब दुनिया की क़दीम-तरीन तहज़ीबों में से एक है। हिंदू क़दीम अदब के मुताले’ से