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सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
”मैं उस वक़्त ख़िदमत में हाज़िर था लेकिन रात-भर जागने की वजह से कुछ ग़ुनूदगी थी
रय्यान अबुलउलाई
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हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
मैंने हैरान हो कर पूछा! आख़िर हिंदूओं के मकान जलाने की वजह क्या थी?कल्याण सिंह ने
मुनादी
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
ज़िक्र से मुराद ख़ुदा-वंद तआ’ला की याद है। इसकी चार क़िस्में हैं: 1 ज़बान पर हो
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
शुरुआती वर्षों में रिकॉर्डिंग पीतल के हॉर्न की सहायता से की जाती थीं और कलाकारों को
सुमन मिश्र
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गुरु बाबा नानक जी - अ’ल्लामा सर अ’ब्दुल क़ादिर
इसी रिवायत में जैसे एक बड़ा सबक़ हिंदुओं के लिए है उसी तरह एक और रिवायत
मुनादी
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आस्ताना-ए-ख़्वाजा ग़रीब-नवाज़ में ख़ुद्दाम साहिब-ज़ादगान, सय्यिद-ज़ादगान औलाद-ए-हज़रत ख़्वाजा सय्यिद फ़ख़्रुद्दीन गर्देज़ी
(शैख़ दानियाल उ’र्फ़ सय्यिद दान साहिब का ये मकान आज भी मौजूद है जो पहले ‘दौलत-कदा-ए-दानियाल’से
आतिफ़ काज़मी
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अमीर खुसरौ की जर्तर-ए-तजावुज़
‘’अमीर ख़ुसरो का हिन्दोस्तान से वालिहाना शग़फ़ कभी भी मंतिक़ी हुदूद को भी तोड़ देता है,
अकमल हैदराबादी
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तज़्किरा हज़रत शाह तेग़ अली
तकमील-ए-तरीक़त के बाद 1349 ही में आपने सफ़र-ओ-सियाहत के लिए कमर बाँधा और सबसे पहले आरा
डॉ. शमीम मुनएमी
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बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
हज़रत या’क़ूब अ’लैहिस्सलाम के 12 बारह बेटे थे।दस बेटे एक माँ से दो छोटे बेटे एक