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सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में गागर
साक़िया मुर्शिद-ए-कामिल है हमारा रिंदोंमय-ए-वहदत से है लबरेज़ हमारी गागर
उमैर हुसामी
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हज़रत शाह वजीहुद्दीन अलवी गुजराती
’अर्श बर तरह कर्द अज़ हिम्मतबर सर-ए-क़ब्र-ए-मुर्शिद-ए-कामिल
मआरिफ़
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
ये 582 हिज्री की बात है।निशापुर के क़रीब क़स्बा हारून में वक़्त के एक मुर्शिद-ए-कामिल ने
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह ग़फ़ूरुर्रहमान हम्द काकवी
मुरीद उनका हूँ मैं और वो हैं मेरी मुरादबल्कि एक जगह तो अ’क़ीदत-ओ-मोहब्बत की मिसाल क़ाएम
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की उ’म्र अभी 12-13 साल की थी और बदायूँ में मौलाना अ’लाउद्दीन उसूली
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद उ’स्मानी जौनपूरी
नाम-ओ-नसब और आबाई वतन: मुहम्मद रशीद नाम, शम्सुलहक़, फ़य्याज़ और दीवान लक़ब है, अबुल बरकात कुनिय्यत
हबीबुर्रहमान आज़मी
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क़व्वाली का ‘अह्द-ए-ईजाद और मक़्सद-ए-ईजाद
क़व्वाली की ईजाद अमीर ख़ुसरो के ‘अह्द-ए-हयात 1253 ता 1325 के ठीक दरमियान का ‘अह्द है,
अकमल हैदराबादी
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महफ़िल-ए-समाअ’ और सिलसिला-ए-वारसिया
अ’रबी ज़बान का एक लफ़्ज़ ‘क़ौल’ है जिसके मा’नी हैं बयान, गुफ़्तुगू और बात कहना वग़ैरा।आ’म
डॉ. कबीर वारसी
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क़व्वाली का अहद-ए-ईजाद और समाजी पस-ए-मंज़र
मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरो का ‘अह्द इब्तिदा-ए-इस्लाम और मौजूदा ‘अह्द के ठीक दरमियान का ‘अह्द है
अकमल हैदराबादी
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सूफ़िया-ए-किराम और ख़िदमात-ए-उर्दू - सय्यद मुहीउद्दीन नदवी
आज दुनिया बजा तौर पर उन मुबारक हस्तीयों पा नाज़ कर सकती है जिन्हों ने इ’मादुद्दीन