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सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
तिरी रहगुज़र तक ऐ जाँ जो नसीब हो रसाई
मलूँ आँखें अपनी नक़्श-ए-कफ़-ए-पा-ए-सारबाँ से
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
न वहाँ हवास पहुंचें न ख़िरद को है रसाई
न मकीं है न मकाँ है न ज़मीं है न ज़माँ है
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
मयकश अकबराबादी जीवन और शाइरी
वो मशाइख़-ए-आगरा में से हैं। न किसी को मुरीद बनाते हैं न किसी की नज़्र क़ुबूल
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
ज़ुल्फ़-ओ-पलक की बातों में नूर-ए-दीदा को आगे बढ़ने की फ़ुर्सत मिली और उसने नानक बाबा की
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सुलूक-ए-नक़्शबंदिया - नासिर नज़ीर फ़िराक़ चिश्ती देहलवी
पीर की सूरत याद रखने को कहते हैं जो दिल में होता है। हज़रत ख़्वाजा उ’बैदुल्लाह
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
अस्मारुल-असरार - डॉक्टर तनवीर अहमद अ’ल्वी
बहुत से समार ऐसे हैं जिनके आख़िर में फ़क़त भी लिखा हुआ मिलता है जिससे ये
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
मुझे ये लंबी तम्हीद इसलिए बाँधनी पड़ी ताकि भूक और ख़ुराक की क़िल्लत जैसे आ’लमी बोहरान
रहबर मिस्बाही
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के ‘अवामी जल्से
‘इश्क़िया मज़ामीन की शुमूलियत के बा’द ज़ाहिर है कि क़व्वाली ‘आम तफ़्रीहात में शामिल हो गई।
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा
किसी फ़न की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा के बारे में क़लम उठाना उस वक़्त आसान होता है जबकि हम