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सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
ज़ेहे ख़रामश आँ नाजनीं व अय्यारी।कबूतरे व निशात आमदस्त पिन्दारी।
माधुरी पत्रिका
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
दर सिन्न-ए-अलिफ़ व वाहिद व स्त्तीनशुद मक़ामश मुक़ाम-ए-इल्लीय्यीन
रय्यान अबुलउलाई
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आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
शज्रा-ए-तरीक़त:इलाही सय्यदु-ख़ल्क़ हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अ’लैहि-व-आलिहि-व-सल्लम
फ़ैज़ अली शाह
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
व-आँ इज़्ज़-ओ-ज़ुल्ल-ए-ऊ व-आँफ़क़्र-ओ-ग़िना-ए-ऊ नागाह चंद
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
ब-हर वादी रवाँ तन्हा व बे-कसगह अज़ मिस्र व गह अज़ बैत-उल-मक़दस
सुमन मिश्रा
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बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
मुनादी
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बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
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सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ - मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी
चे ख़ुश फ़रमूदःअस्त”।अल-इ’ल्मु ज़य्यनुर्रिजालि व-ग़ैरहुम
सूफ़ीनामा आर्काइव
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दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
आम तौर से लोगों को औरत का हुस्न-व-जमाल भी पसंद है और मर्द का जाह-व-जलाल भी।