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सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
जीदौली शुभ थांन कथा यह गाइया।गुर छौनां सतगर नैं सकल सुनाइया।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
नवरस भाव विभाव के समझ लेहु शुभ पंथ जो लिखियें जा ग्रंथकौं जामैं सरस सुबुद्धि
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की दूसरी क़िस्त
जीव के चार प्रकार के स्वभावयाद रखो, इस शरीर में जितने स्वभाव पाये जाते हैं उन
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की चौथी क़िस्त
यहाँ तक जो सांसारिक पदार्थों को माया के समान त्याज्यरूप से वर्णन किया गया है उससे
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सूरदास का वात्सल्य-निरूपण, डॉ. जितेन्द्रनाथ पाठक
वस्तुतः इन दोनों को ही पृथक्-पृथक् नहीं देखा जा सकता, क्योंकि वय-विकास वह मूलभित्ति है जिस
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
मीरां के जोगी या जोगिया का मर्म- शंभुसिंह मनोहर
इस संदर्भ में यदि हम अपने प्राचीन प्रेमाख्यानों में वर्णित अपने प्रियतम की प्राप्ति हेतु ‘जोगन
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
ईसाइयों और मुसलमानों की तरह कबीर मनुष्य और ईश्वर के बीच किसी मध्यस्थ की सत्ता पर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़ी ‘तुराब’ के कान्ह कुँवर (अमृतरस की समीक्षा)
हिन्दुस्तान ने सभ्यता के प्रभात काल से ही विभिन्न पन्थों, मतों, परम्पराओं और वैचारिक पद्धतियों का
बलराम शुक्ल
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
खुसरों की मसनवियों में कोरा इतिहास नहीं है। उस सहृदय कवि ने इस रूखे सूखे विषय
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
खुसरों की मसनवियों में कोरा इतिहास नहीं है। उस सहृदय कवि ने इस रूखे सूखे विषय
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मधुमालती नामक दो अन्य रचनाएँ - श्रीयुत अगरचंद्र नाहटा
मधु के पिता ने शुभ मुहूर्त में उसे नंद नामक पुरोहित के पास पठनार्थ भेजा। राजा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की पाँचवी क़िस्त
याद रखो, प्राणचेतना तत्वों का विकार है और वायु-पित्त आदि जो तत्वों के सूक्ष्म अंश है