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सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
जाइ सो तहां साँस मन बंधी। जस धँसि लीन्ह कान्ह कालिंदी।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
तू फ़ना नही होगा ये खयाल झूठा हैसाँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जायेंगे
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
है अचंभा जिया जलै, औ निकसै ठंढी साँस।। (2) किसी अनोखे निशानेबाज से कवि कहते हैं-
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ सदरुद्दीन आ’रिफ़ रहमतुल्लाह अ’लैह
एक दूसरे मौक़ा’ पर मुरीदों को नसीहत की, कि कोई साँस ज़िक्र के ब-ग़ैर बाहर न
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
लखनऊ का सफ़रनामा
इसकी सैर कराने वाले ने हमें एक एक जगह की तफ़्सील और तारीख़ी कुन्हियात बतलाई। नवाब
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
दूसरा बाब फ़क़्र से शुरुअ’ होता है।इस में तीन फ़स्लें हैं।पहली फ़स्ल में कलाम-ए-मजीद और अहादीस
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
शंकर-शम्भू दो सगे भाई थे जिनकी युगल क़व्वाली ने दुनिया भर को दीवाना बनाया।उनका जन्म उत्तर
सुमन मिश्रा
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क़व्वाली और अमीर ख़ुसरो – अहमद हुसैन ख़ान
मज़्कूरा बाला क़ल्ल-ओ-दल्ल से क़व्वाली जैसी मौसीक़ी बहर सूरत मुफ़ीद साबित होती है। इस से जो
सूफ़ीनामा आर्काइव
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क़व्वाली का मजमूई तास्सुर
क़व्वाली एक टोली का गाना है और टोली चंद अफ़राद के इत्तिहाद का नाम हिन्दोस्तान में
अकमल हैदराबादी
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रामावत संप्रदाय- बाबू श्यामसुंदर दास, काशी
हिंदी साहित्य का इतिहास तीन मुख्य कालों में विभक्त किया जा सकता है- प्रारंभ काल, मध्य