परिणाम "अमानत"
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तय गुल वचों होर निकलीअमानत अली ने यार पुछाता
सर्व-ए-ख़िरामाँ सरमस्त राहीहर नक़्श-ए-पा क़ाबिल-ए-सज्दा-गाही
तमाम उ'म्र कुछ ऐसे ख़याल-ए-यार रहाकि बा'द-ए-मर्ग भी हर ज़र्रा बे-क़रार रहा
आबाद हूँ मैं ताब-ए-रुख़-ए-यार देख करजीता हूँ ज़र्रे ज़र्रे में दीदार देख कर
सर दे के उठाया है तिरा बार-ए-अमानतजो खेल गए जान पे ए यार हमें हैं
मक़ाम-ए-वस्ल में बे-ताब हूँ क़रार नहींतड़प रहा हूँ किसी का भी इंतिज़ार नहीं
लरज़ते हुए कोहसारों के आगेउठा लें जो बार-ए-अमानत हमीं हैं
अज़ल में जो बार-ए-अमानत उठायाहर इंसाँ का याँ इम्तिहाँ हो रहा है
वक़्त पर 'नाइब' सँभालेंगे मेरे हादी ज़रूरजो मेरे सीना के अंदर रहे अमानत पीर की
पेशानी-ए-आदम में क्या चीज़ अमानत थीवो नूर-ए-मोहम्मद था सब जिस के थे परवाना
'अमीर'-ए-साबरी जाना सँभल कर कू-ए-जानाँ मेंमोहब्बत इक अमानत है अलम-नश्रह न हो जाए
ख़ुशी में भूल न जाना जिगर ये राज़-ए-हयातकि जो ख़ुशी है यहाँ इक अमानत-ए-ग़म है
रहा बार-ए-अमानत गो वबाल-ए-दोश रस्ते भरन कंधा भी मगर हम ने तह-ए-बार-ए-गराँ बदला
अमानत-ए-हुस्न-ओ-'इश्क़ हरगिज़ उठे न अर्ज़-ओ-समा से लेकिनहुआ बशर जब कि उस का हामिल चराग़ रौशन मुराद हासिल
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