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कलाम
शकील बदायूँनी
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यही इक आरज़ू रहती है बेकल दिल की दुनिया मेंकि गुम हो जाऊँ 'एहसाँ' जल्वा-ए-जान-ए-तमन्ना में
एहसान दानिश
कलाम
आँख खुलते ही था इक जल्वा नज़र के सामनेक्या कहूँ मैं आगया क्या क्या नज़र के सामने
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
हुनर सिल्लोडी
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मिरे दिल की हर इक रग ख़ूँ-चकाँ मा'लूम होती हैतमन्नाओं की दुनिया गुलिस्ताँ मा'लूम होती है
माहिरुल क़ादरी
कलाम
फ़ुर्क़त की हज़ारों रातों से इक रात सुहानी माँगी थीजो फूल के बोझ से दब जाए इक ऐसी जवानी माँगी थी
अज्ञात
कलाम
इक जाम खनकता जाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली हैइक होश-रुबा इनआ'म कि साक़ी रात गुज़रने वाली है
क़तील शिफ़ाई
कलाम
हर इक ए'तिबार से आज तक हूँ फ़क़त फ़रेब-ए-ख़याल मेंमिरी ज़िंदगी का शुमार है न फ़िराक़ में न विसाल में
कामिल शत्तारी
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नियाज़ वज़िरबादी
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नहीं मुम्किन हर इक के दिल में नक़्श-ए-यार हो पैदाअगर सर दार पर रक्खो तो फिर सरदार हो पैदा