परिणाम "ज़रूर"
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ख़ाली हो जो सुराही खनकती ज़रूर हैकम-ज़र्फ़ की शराब छलकती ज़रूर है
मैं कुछ नहीं मगर ये हक़ीक़त ज़रूर हैआप के दर-ए-करम से मोहब्बत ज़रूर है
ग़ैर का है वुजूद ग़ैर ज़रूरएक होना ज़रूर है मेरा
तू ज़रूर सुनेगा मेरे दिल की सदामेरी तौबा मेरी तौबा
पैदा किए की शर्म इलाही ज़रूर हैतो आफ़रीद-गार है मैं आफ़रीदा हूँ
फ़ुर्क़त की सख़्तियाँ मुझे मंज़ूर हैं मगरइतना ज़रूर हो कि तुझे भी ख़बर रहे
यारो कफ़न हमारे लिए क्या ज़रूर है'उर्यां जहाँ में आए हैं 'उर्यां ही जाएँगे
काम आएगा ज़रूर किसी दिन हुज़ूर केपहलू में अपने रखते हैं हम होनहार दिल
बिस्मिलों की दम-ए-रुख़्सत है मुदारात ज़रूरज़ोहरा पानी हुआ जाता है नमक-दानों का
दीद-ए-लैला के लिए दीदा-ए-मजनूँ है ज़रूरमेरी आँखों से कोई देखे तमाशा तेरा
वक़्त पर 'नाइब' सँभालेंगे मेरे हादी ज़रूरजो मेरे सीना के अंदर रहे अमानत पीर की
इग़्माज़ चलते वक़्त मुरव्वत से दूर थारो-रो के हम को और रुलाना ज़रूर था
इ'श्क़ में उन की नवाज़िश का सहारा किया ज़रूरडूबना ठहरा तो साहिल की तमन्ना क्या करें
आँखों में दम रुका है किसी के लिए ज़रूरवर्ना मरीज़-ए-हिज्र को मर जाना चाहिए
है तेरी अहदिय्यत पर हम को यक़ीन-ए-कामिलइक दिन ज़रूर होगा घर-घर निशान तेरा
याँ इफ़्तिक़ार का तू इम्काँ सबब हुआ हैहम हों न हों वले है होना ज़रूर तेरा
मुझ को दीवाना समझ कर आप छेड़ेंगे ज़रूरमेरे मतलब का मिरा दीवाना-पन हो जाएगा
ज़रूर आफ़त कोई आई है दिल पर वर्ना ऐ हमदमतड़पता लोटता क्यूँ आँख से आँसू निकलता है
हम ख़ाक में मिले तो मिले लेकिन उसे सिपहरउस शोख़ को भी राह पर लाना ज़रूर था
खाता हूँ रोज़ ग़म तो समझता हूँ मैं कि बसग़म एक दिन ज़रूर मिरे दिल को खाएगा
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