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कलाम
वारिस शाह
कलाम
हरम और दैर के कतबे वो देखे जिस को फ़ुर्सत हैयहाँ हद्द-ए-नज़र तक सिर्फ़ उ'न्वान-ए-मोहब्बत है
सीमाब अकबराबादी
कलाम
ख़ुद अदा मरती है जिस पर वो अदा कुछ और हैहै वफ़ा भी जिस पे सदक़े वो जफ़ा कुछ और है
तसद्दुक़ अ’ली असद
कलाम
दिल जिस से ज़िंदा है वो तमन्ना तुम्हीं तो होहम जिस में बस रहे हैं वो दुनिया तुम्हीं तो हो
ज़फ़र अली ख़ान
कलाम
जिस घड़ी यादों में तेरी यार खो जाता हूँ मैंफिर तो हर जा पर तुझी को जल्वा-गर पाता हूँ मैं
फ़राज़ वारसी
कलाम
ख़याल-ए-पीर का जिस के हुआ है दिल में नशिस्तवो तिफ़्ल ख़ूब जवाँ-बख़्त है और पीर-परस्त
शाह तुराब अली क़लंदर
कलाम
रौशन जहाँ है जिस से वो महफ़िल तुम्हें तो होदिल जिस को ढूँढता है वो मंज़िल तुम्हें तो हो