आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दीवार-ओ-दर"
Kalaam के संबंधित परिणाम "दीवार-ओ-दर"
कलाम
आईना-ख़ाना कर दिया आ'लम को हुस्न कोक्या क्या दिखाते जल्वा हैं दीवार-ओ-दर से आप
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
मय-ख़ाने के दीवार-ओ-दर पर मस्ती मंडलाती फिरती हैहर मस्त की आँखों से देखो कौसर की शराब बरसती है
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
अगर जोगन तुम्हारे दर से ख़ाली हाथ जाएगीतो इस मजबूर की हालत ये दुनिया मुस्कुराएगी
अनवर फ़र्रूख़ाबादी
कलाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कलाम
उस बुत-ए-काफ़िर के दर पे अब तो जाना ही पड़ाहो गया है बस ख़फ़ा मुझ को मनाना ही पड़ा
नियाज़ वज़िरबादी
कलाम
खड़ा हूँ कब से मैं दर पर तिरे मुश्ताक़ दर्शन काइधर भी इक निगाह-ए-लुत्फ़ सदक़ा अपने जोबन का
क़ाज़ी उम्राओ अली जमाली
कलाम
मुझे टाल तू न साक़ी तिरे दर का मैं गदा हूँमिरे जानाँ आज तुझ से मैं तुझी को माँगता हूँ
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
मुझ को काफ़ी है ये संग-ए-दर-ए-जानाना मिरायही का'बा है मिरा और यही बुत-ख़ाना मिरा