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कलाम
ये जफ़ा-ए-ग़म का चारा वो नजात-ए-दिल का आलमतिरा हुस्न दस्त-ए-ईसा तिरी याद रू-ए-मर्यम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कलाम
अफ़्साना मेरे दर्द का उस यार से कह दोफ़ुर्क़त की मुसीबत को दिल-आज़ार से कह दो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
मद्रसे में आशिक़ों के जिस की बिस्मिल्लाह होउस का पहला ही सबक़ यारो फ़ना फ़िल्लाह हो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
तुम्हारे 'इश्क़ में गर जान के देने से मैं अड़ताकोई दिन जी के आख़िर मौत से मरना ही फिर पड़ता
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
तिरे ग़म को जाँ की तलाश थी तिरे जाँ-निसार चले गएतिरी रह में करते थे सर तलब सर-ए-रहगुज़ार चले गए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कलाम
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गईदिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कलाम
इन्ही ख़ुश-गुमानियों में कहीं जाँ से भी न जाओवो जो चारागर नहीं है उसे ज़ख़्म क्यूँ दिखाओ
अहमद फ़राज़
कलाम
दर पे किसी के आ गया दैर-ओ-हरम को देख करसज्दे में सब सनम गिरे मेरे सनम को देख कर