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कलाम
मेरे ही ग़म की तर्जुमान-ए-फ़ितरत है दीवाना होमुझ को वो दास्ताँ सुना जो मेरी दास्ताँ न हो
शकील बदायूँनी
कलाम
शक्ल आँखों में मिरी जल्वा-नुमा किस की हैपर्दा-ए-दिल से जो निकली ये सदा किस की है
मिर्ज़ा अश्क लखनवी
कलाम
इ'श्क़ ने आग लगाई रे साधू इ'श्क़ ने आग लगाईदेत हूँ राम दोहाई रे साधू इ'श्क़ ने आग लागई
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
ख़ुदा महफ़ूज़ रखे 'इश्क़ के जज़्बात-ए-कामिल सेज़मीं गर्दूं से टकराई जहाँ दिल मिल गया दिल से
अज़ीज़ मेरठी
कलाम
अल्लाह सहीह कीतोसे जिस दम चमकया इश्क़ अगोहाँ हूरात दिहाँ दे ता तिखेरे करे अगोहाँ सोहाँ हू
सुल्तान बाहू
कलाम
आशिक़ इश्क़ माही दे कोलों फिरन हमेशा खीवे हूजींदे जान माही नूँ डित्ती दोहीं जहानीं जीवे हू
सुल्तान बाहू
कलाम
उस के चेहरे पे ख़ुदा जाने ये कैसा नूर थावर्ना ये दीवानगी कब इ'श्क़ का दस्तूर था