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कलाम
दीदार की दौलत लुटती है और साइल आते जाते हैंकिस शान से उन के कूचे में ऐ दिल ख़ैरातें होतीं हैं
रियाज़ सुहरावर्दी
कलाम
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
बदल सकती हैं कब तक़दीर-ए-आ'लम उन की तदबीरेंख़ुदा के हाथ में ख़ुद हैं ख़ुदी वालों की तक़दीरें
सीमाब अकबराबादी
कलाम
अल्लामा इक़बाल
कलाम
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और हैसर-ए-आईना मिरा 'अक्स है पस-ए-आईना कोई और है