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कलाम
ऐ सय्यद मोहम्मद जान 'क़दीर' तेरी सूरत में है भेद छुपादीवाना करीमुल्लाह ने दीवाना बना कर छोड़ दिया
मोहम्मद बादशाह क़दीर
कलाम
मोहम्मद बादशाह क़ादरी
कलाम
अपनी निगाह-ए-शौक़ को रोका करेंगे हमवो ख़ुद करें निगाह तो फिर क्या करेंगे हम
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
न किसी चीज़ में दिल उन का लगा मेरे बा'दयाद आती ही रही मेरी वफ़ा मेरे बा'द
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
तिरी उल्फ़त में मर मिटना शहादत इस को कहते हैंतिरे कूचे में होना दफ़्न जन्नत इस को कहते हैं
मौलाना हिदायत रसूल
कलाम
ऐ जान-ए-जहाँ कब तक ये गोशा-ए-तन्हाईसब दीद के तालिब हैं जितने हैं तमाशाई
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
चला आहिस्ता-आहिस्ता तिरे कलिमा से दम मेरानज़्अ' में कैसे भूलूँ है वज़ीफ़ा दम-बदम मेरा
मोहम्मद बादशाह क़दीर
कलाम
टुक साथ हो हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले'आशिक़ का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले
मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
कलाम
मैं बुरा हूँ या भला हूँ मेरी लाज को निभानामुझे जानता है साजन तेरे नाम से ज़माना
मोहम्मद अली ज़ुहूरी
कलाम
छुड़ा देती है फ़िक्र-ए-ग़ैर से तासीर-ए-मय-ख़ानामिली है 'अर्श की ज़ंजीर से ज़ंजीर-ए-मय-ख़ाना