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Sufinama

चादर

उर्स के साथ इस रस्म को मनाया जाता है। चादर आदर और सम्मान की अलामत है। मुरीद चादर के चारों कोनों को पकड़ कर खड़े होते हैं और साथ साथ बाकी मुरीद चलते हैं। चारों कोनों से पकड़ कर चादर सर के ऊपर टांग ली जाती है और साथ साथ क़व्वाल चादर पढ़ते हैं। उर्स के अलावा बाकी दिनों में भी चादर-पोशी के दौरान चादर पढ़ी जाती है।

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इलाही सर पे रहे दस्तगीर की चादर

पीर नसीरुद्दीन नसीर

सय्यदुल-औलीया की चादर है

अकबर वारसी मेरठी

उठाओ सर पे कि इक ताजवर की चादर है

पीर नसीरुद्दीन नसीर

मर्द-ए-ख़ुदा हक़-बीं की चादर

पीर नसीरुद्दीन नसीर

हक़ीक़त-नुमा नूर-ए-पैकर की चादर

पीर नसीरुद्दीन नसीर

ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ की चादर है

ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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