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गीत

सूफ़ी संतों ने बहुत से गीत और ठुमरियां लिखी हैं जिन्हें क़व्वाल सूफ़ी ख़ानक़ाहों पर कसरत से पढ़ते है।

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छाप-तिलक

अमीर ख़ुसरौ

कहूं क्या तेरे भूलने के मैं वारी

हिल्म आग़ाई अबुल उ’लाई

राह तुम्हारी देखत देखत

वक़ारुद्दीन सिद्दीक़ी

तुम बिन कौन हमारा मुहिउद्दीन

वक़ारुद्दीन सिद्दीक़ी

जा रे पथिकवा ले आओ खबरिया

शाह तुराब अली क़लंदर

काहे मारो री नैन बान

वक़ारुद्दीन सिद्दीक़ी

हैदर का पूत आया ज़हरा का जाया आया

वक़ारुद्दीन सिद्दीक़ी

ग़ज़ब ढा गयो तोरे नैनाँ मुरारी

अब्दुल हादी काविश

नीकी लगत मोहे अपने पिया की

शाह तुराब अली क़लंदर

चली सखी पनिया भरन को चली

नाज़ाँ शोलापुरी

कान्ह कुँवर के कारन राधा

शाह तुराब अली क़लंदर

आओ पियरवा हमरे मंदिरवा

शाह तुराब अली क़लंदर

कैसे मैं लागूं पिया के गरवा

शाह तुराब अली क़लंदर

मोरी बिथा सुन कान्ह कहत हैं

शाह तुराब अली क़लंदर

का सो कहूँ दुख अपना दई

शाह तुराब अली क़लंदर

कूक न री कोइलिया बैरिन

शाह तुराब अली क़लंदर

बना वाले सिपहया पियारे

आग़ा मुहम्मद दाऊद

लगतै ही सावन मास सखी री

शाह तुराब अली क़लंदर

बरसत मा कोऊ घर से है निकसत

शाह तुराब अली क़लंदर

अब ही बरस ना मेघवा रह जा

शाह तुराब अली क़लंदर

चढ़ के अटा पर देख सखीरी

शाह तुराब अली क़लंदर

सोही चूनरिया रंग दे मो-का

शाह तुराब अली क़लंदर

बाबुल- अब तो चली मैं देस बिदेस

शाह तुराब अली क़लंदर

बहुत सही तोरी अब न सहूँगी

शाह तुराब अली क़लंदर

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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