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Sufinama

कलाम

सूफ़ियाए किराम के लिखे हुए ज़्यादा-तर अशआर कलाम के ज़ुमरे में ही आता है और उसे महफ़िल समाव के दौरान भी गाया जाता है।

1907 -1985

लखनऊ के मशहूर ताजिर

-1953

मीलाद-ए-अकबर के मुसन्निफ़ और ना’त गो-शाइ’र

1843 -1928

मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र-ओ-अदीब

1920 -1963

पूर्वाधुनिक शायरों में शामिल, परम्परा और आधुनिकता के मिश्रण की शायरी के लिए जाने जाते हैं

रामपूर का एक क़ादिर-उल-कलाम शाइ’र

1886 -1961

हैदराबाद का रुबाई’-गो सूफ़ी शाइ’र

1253 -1325

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

1916

दबिस्तान-ए-साबिरी का एक सूफ़ी शाइ’र

1829 -1900

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

1880 -1936

चौदहवीं सदी हिज्री का एक सूफ़ी शाइ’र

1914 -1981

इंक़लाब और हुस्न-ओ-इश्क़ के शायर,नाटककार,गीतकार, मुशाएरा के बड़े शायर ,अपनी नज़्म “झूम कर उठो वतन आज़ाद करने के लिए” की वजह से मशहूर

1837 -1914

उर्दू आलोचना के संस्थापकों में शामिल/महत्वपूर्ण पूर्वाधुनिक शायर/मिजऱ्ा ग़ालिब की जीवनी ‘यादगार-ए-ग़ालिब लिखने के लिए प्रसिद्ध

1850 -1936

गुलिस्तान-ए-मख़्दूम-ए-समनान का एक रौशन चराग़

1820 -1879

अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के प्रमुख दरबारी और आफ़ताबुद्दौला शम्स-ए-जंग के ख़िताब से सम्मानित शाएर

1800 -1882

मुस्हफ़ी का एक मुम्ताज़ शागिर्द

1856 -1921

हिंदुस्तान के मशहूर आ’लिम-ए-दीन और ना’त-गो शाइ’र

1832 -1906

हैदराबाद के मश्हूर अबुल-उ’लाई सूफ़ी

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