दिल्ली के शायर और अदीब
कुल: 77
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
“गुलशन-ए-बे-खार” का मुसन्निफ़
मुंशी रज़ीउद्दीन
मोहम्मद शाह रंगिला
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन। वह हकीम, ज्योतिषी और शतरंज के खिलाड़ी भी थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालीब ने उनके शेर ' तुम मेरे पास होते हो गोया/ जब कोई दूसरा नही होता ' पर अपना पूरा दीवान देने की बात कही थी।
मिर्ज़ा क़ादिर बख़्श साबिर
मिर्ज़ा मज़हर जान-ए-जानाँ
दिल्ली के मा’रूफ़ नक़्शबंदी मुजद्ददी बुज़ुर्ग और मुमताज़ सूफ़ी शाइ’र
मिर्ज़ा मज़हर जान-ए-जानाँ
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
मीर मोहम्मद बेदार
ख़्वाजा फ़ख़्रुद्दीन चिश्ती देहलवी के मुरीद और गुम-गश्ता सूफ़ी शाइ’र
मीर हसन देहलवी
प्रमुख मर्सिया-निगार। मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात
मीनू बख़्शी
मनज़ूर नियाज़ी
मख़मूर देहलवी
प्रतिष्ठित शायर, अपने शेर " मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़सूस होते हैं " के लिए मशहूर