ऐ हुदहुद-ए-सबा ब-सबा मी-फ़िरिस्तमत
रोचक तथ्य
अनुवाद: शंकर महेशवरी
ऐ हुदहुद-ए-सबा ब-सबा मी-फ़िरिस्तमत
बिनिगर कि अज़ कुजा ब-कुजा मी-फ़िरिस्तमत
ऐ हुदहुद विहग मैं तुझको भेज रहा हूँ सबा प्रदेश
वहाँ प्रिया रहती है मेरी पथ का रखना ध्यान विशेष
हैफ़स्त ताइरे चूँ तू दर ख़ाक-दान-ए-दह्र
ज़ीं जा ब-आशियान-ए-वफ़ा मी-फ़िरिस्तमत
अरे विहाग इस चंचल जग में अत्याचा घनेरा है
जहाँ वफ़ा का नीड़ बसा है भेजूँ मैं तुझको उस देश
दर राह-ए-इ'श्क़ मरहलः-ए-क़ुर्ब-ओ-बो'द नीस्त
मी-बीनमत अ'याँ-ओ-दुआ' मी-फ़िरिस्तमत
अ’जब प्रेम की राह, वहाँ पर दूरी क्या नज़दीकी क्या
मुझको तो तू ही तू दिखता वारूँ तुझ पर शुभ संदेश
हर सुब्ह-ओ-शाम क़ाफ़िलःई अज़ दुआ'-ए-ख़ैर
दर सोहबत-ए-शिमाल-ओ-सबा मी-फ़िरिस्तमत
हवा संग उत्तर-पूरब की, नित्य प्रात और संध्या को
तेरे निकट भेजता हूँ मैं आत्मा के आशीप अशेष
दर रू-ए-ख़ुद तफ़र्रुज-ए-सुनअ'-ए-ख़ुदा ब-कुन
काईनः-ए-ख़ुदा-ए-नुमा मी-फ़िरिस्तमत
अपने चेहरे में देखो उस स्रष्टा का रचान कौशल
इसीलिए मैं भेज रहा हूँ तुझको वो दर्पण सविशेष
ता-लश्कर-ए-ग़मत न-कुनद मुल्क-ए-दिल ख़राब
जान-ए-अ’ज़ीज़-ए-ख़ुद ब-फ़िदा मी-फ़िरिस्तमत
यही समझ कर भेज रहा मैं तुझको अपने प्यारे प्राण
उजड़ न जाए दुख-दलों से तेरे मृदु मानस का देश
हर-दम ग़मे फ़िरिस्त मरा-ओ-ब-गो ब-नाज़
कीं तोहफ़ः अज़ बराए ख़ुदा मी-फ़िरिस्तमत
व्यथा भेजता रह तू मुझको और सदा यूँ कहता रह
यह उपहार ख़ुदा के ख़ातिर पास तुम्हारे भेज रहा
ऐ ग़ाएब अज़ नज़र कि शुदी हम-नशीन-ए-दिल
मी-गोयामत दुआ'-ओ-सना मी-फ़िरिस्तमत
दूर नज़र से रहता फिर भी दिल में किया बसेरा है
मुद-मंगल की दुआ’-प्राथनापास तुम्हारे भेज रहा
ता-मुतरिबाँ ज़े शौक़-ए-मनत आगही देहंद
क़ौल-ओ-ग़ज़ल ब-साज़-ओ-नवा मी-फ़रिस्तमत
मेरे मन की अभिलाषाएँ गायक तुम तक पहुँचाएँ
इसीलिए यह गीत, साज़, स्वर पास तुम्हारे भेज रहा
साक़ी बिया कि हातिफ़-ए-ग़ैबम ब-मुज़्दः गुफ़्त
बा दर्द सब्र कुन कि दवा मी-फ़िरिस्तमत
साक़ी आ! अब देवदूत ने मुझको यह पैग़ाम दिया
दर्द सहन करने की औषधि पास तुम्हारे भेज रहा
'हाफ़िज़' सुरूद-ए-मज्लिस-ए-मा ज़िक्र-ए-ख़ैर-ए-तुस्त
ता'जील कुन कि अस्प-ओ-क़बा मी-फ़िरिस्तमत
मज्लिस में सब करते रहते तेरी ही बातें ‘हाफ़िज़’
जल्दी कर यह अश्व-वस्त्र मैं पास तुम्हारे भेज रहा
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