ख़ुशा शीराज़-ओ-वज़-ए’-बे-मिसालश
रोचक तथ्य
अनुवाद: शंकर महेशवरी
ख़ुशा शीराज़-ओ-वज़-ए'-बे-मिसालश
ख़ुदावंदाँ कि दारा ज़े ज़वालश
प्यारा है शीराज़, यहाँ की वास्तुकला भी अनुपम
नष्ट न होने पाए, भगवन, इनकी रक्षा करना
ज़े- रुक्नाबाद-ए-मा सद लौहशल्लाह
कि उ'म्र-ए-ख़िज़्र मी-बख़्शद ज़ुलालश
रुक्नाबाद नहर चिरजीवी होने ईश कृपा से
उसका पावन नीर ख़िज़्र का जीवन देने वाला
मियान-ए-जा'फ़राबाद-ओ-मुसल्ला
अ'बीर-आमेज़ मी-आयद शिमालश
अहा जा’फ़राबाद-मुसल्ला कानन बीच विहरती
मृगमद की मादक सुगंध से भरी हवा उत्तर की
ब-शीराज़ आ-ओ-फ़ैज़-ए-रूह-ए-क़ुदसी
ब-ख़्वाह अज़ मर्दुम-ए-साहिब-कमालश
इस शीराज़ नगर में आकर कलाविदों संग बैठो
मनवांछा जिब्रील संग की कर लो यूँ तुम पूरी
कि नाम-ए-क़ंद-ए-मिस्री बुरद आँ-जा
कि शीरीनाँ न-दादंद इंफ़िआ'लश
कौन भला, जिसको न लजाए मधुर-अधर बालाएँ
मिस्र देश की मिस्री का जिसने बस नाम लिया हो
सबा ज़े आँ-लूली-ए-शंंगोल-ए-सरमस्त
चे दारी आगही चूनस्त हालश
वो जो मद से भरी चंचल मधुर सवरों की गायक
तुझे पता क्या पवन, बता तो कैसी उसकी हालत?
म-कुन बेदार अज़ीं ख़्वाबम ख़ुदा-रा
कि दारम इ'शरते ख़ुश बा-ख़यालश
ईश्वर की ख़ातिर मुझको तू जगा न इस सपने से
उसके ध्यान लग्न मेरा अम्न डूबा सुख-सागर में
गर आँ शीरीं पिसर ख़ूनम ब-रेज़द
दिला चूँ शीर-ए-मादर कुन हलालश
ऐ मन, यदि मधुमय किशोर वो लहू बहाए मेरा
माँ के दूध समान इसे तू पावन धर्म समझना
चरा 'हाफ़िज़' चू मी-तर्सीदी अज़ हिज्र
न-कर्दी शुक्र-ए-अय्याम-ए-विसालश
इस वियोग से प्यारे ‘हाफ़िज़’ क्यूँ तू है भयभीत
उन संयोग दिनों का तू ने कब माना आभार
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