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राहे ब-ज़न कि आहे बर साज़-ए-आँ तवाँ ज़द

हाफ़िज़

राहे ब-ज़न कि आहे बर साज़-ए-आँ तवाँ ज़द

हाफ़िज़

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    राहे ब-ज़न कि आहे बर साज़-ए-आँ तवाँ ज़द

    शे'रे ब-ख़्वाँ कि बा आँ रित्ल-ए-गराँ तवाँ ज़द

    बजाने वाले कोई ऐसी गीत बजा जिससे हृदय में पीड़ा उत्पन्न हो। और कोई ऐसी रागिनी अलाप कि जिससे मदिरा का एक बहुत बड़ा प्याला पिया जा सके।

    बर आस्तान-ए-जानाँ गर सर तवाँ निहादन

    गुल-बाँग-ए-सर-बुलंदी बर आसमाँ तवाँ ज़द

    इस रहस्यमय हृदय के अन्दर प्रेम के रहस्यों के लिये पर्याप्त स्थान नहीं है। अब मदिरा बेचने वाले की मदिरा का प्याला उसी के साथ पीना चाहिये।

    क़द्द-ए-ख़मीद:-ए-मा सहलत नुमायद अम्मा

    बर चश्म-ए-दुश्मनानत तीर अज़ कमाँ तवाँ ज़द

    उदासियों के पास राजसी भवनों को सुसज्जित करने का सामान कहाँ से आया। उनके पास तो केवल गुदड़ियाँ हैं और वह भी पुरानी, जिनमें आग लगाई जा सकती है।

    दर ख़ानक़: न-गुंजद असरार-ए-इश्क़-बाज़ी

    जाम-ए-मय-ए-मुग़ानः हम बा मुग़ाँ तवाँ ज़द

    प्रेमी मनुष्य प्रेमिका के एक ही कटाक्ष पर दोनों जहानों को न्यौछावर कर देते हैं। प्रणय का प्रारम्भ हो गया है। उसके लिये अपने प्राणों की बाज़ी लगाना चाहिये।

    दरवेश रा बाशद मंज़िल-सरा-ए-सुल्ताँ

    माएम-ओ-कोहनः दलक़े कि-आतिश दराँ तवाँ ज़द

    यदि सौभाग्य से तू अपने अन-गिनत प्रेमियों से मिलने के लिये उद्यत हो जाय तो बहुत से सर तेरी चौखट से ही टकरा जायँ।

    अहल-ए-नज़र दो-आलम दर यक नज़र ब-बाज़द

    इश्क़-अस्त-ओ-दाद-ए-अव्वल बर नक़्द-ए-जाँ तवाँ ज़द

    बुद्धि, ज्ञान और विद्या के बल से कविता में मिठास भरी जा सकती है। जब बहुत से विषय इकट्ठे हो जाएं तो कविता का पाठ पढ़ाया जा सकता है।

    गर दौलत-ए-विसालत ख़्वाहद दरे कशूदन

    सर-हा बरीन तख़य्युल बर आस्ताँ तवाँ ज़द

    तेरी घुंघराली अलकों ने मेरे धैर्य को लूट लिया और इसमें कोई आश्चर्य की बात भी नहीं है। यदि तू लुटेरा होता तो प्रेमियों के सहस्त्रों क़ाफ़िलो को लूट सकता था।

    बा अक़्ल-ओ-फ़हम-ओ-दानिश दाद-ए-सुख़न तवाँ दाद

    चूँ जम्अ' शुद मआ'नी गोए बयाँ तवाँ ज़द

    मुझे झेप लग रही है। साक़ी। तू मेरे ऊपर दया दिखला। तेरी कृपा के आधार पर ही संभव है कि मैं उसके मुख का कुछ चुम्बन ले सकूँ।

    शुद रहज़ने सलामत ज़ुल्फ़-ए-तू वीं अजब नीस्त

    गर राहज़न तू बाशी सद-रवाँ तवाँ ज़द

    सफलता की आशा रख कर तू अपना कार्य आरम्भ कर दे। मैं नहीं कह सकता हूँ कि परिणाम क्या होगा। सम्भव है कि सौभाग्य की बाज़ी तू इस संसार में जीत ले।

    अज़ शर्म दर हिजाबम साक़ी तलत्तुफ़े कुन

    बाशद कि बोस:-ए-चंद बरआँ दहाँ तवाँ ज़द

    प्रेम, युवावस्था और फ़क़ीरी यह वस्तुयें अभिलाषा की जड़ हैं। साक़ी आगे बढ़। इस थोड़े से जीवन में ही एक प्याला पिया जा सकता है।

    बर अज़्म-ए-कामरानी फ़ाल-ए-बज़न चे दानी

    मुमकिन कि गोए दौलत दर ईं जहाँ तवाँ ज़द

    हाफ़िज़ तू धर्म (क़ुरान) के लिये अपने हृदय की चिन्ता और बनावटी बातों को त्याग दे। कदाचित् तू सत मनुष्यों की संगति को प्राप्त कर सुखी हो सके।

    ईश्क़-ओ-शबाब-ओ-रिंदी मज्मूअ:-ए-मुराद-अस्त

    साक़ी बया कि जाम-ए-दर-ईं-ज़माँ तवाँ ज़द

    'हाफ़िज़' ब-हक्क़-ए-क़ुरआँ कज़ रिज़्क़-ओ-शीर बाज़

    बाशद कि गोए ऐ'शी दर ईं म्याँ तवाँ ज़द

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