रौज़:-ए-ख़ुल्द-ए-बरीं ख़ल्वत-ए-दर्वेशान अस्त
रौज़:-ए-ख़ुल्द-ए-बरीं ख़ल्वत-ए-दर्वेशान अस्त
माय:-ए-मोहतशमी ख़िदमत-ए-दर्वेशान अस्त
दरवेशों की ख़ल्वत ख़ुल्द-ए-बरीं का बाग़ीचा है
दरवेशों की ख़िदमत इज़्ज़त का सरमाया है
गंज-ए-उज़्लत कि तिलिस्मात-ए-अ'जायब दारद
फ़त्ह-ए-आँ-दर नज़र-ए-हिम्मत-ए-दर्वेशान अस्त
गोशा-ए-तन्हाई जो अ’जाइबात के तिलिस्म रखता है
उस की कुशादगी दरवेशों की तवज्जुह की नज़र में है
क़स्र-ए-फिर्दौस कि रिज़्वानश ब-दरबानी रफ़्त
मंज़रे अज़ चमन-ए-नुज़्हत-ए-दर्वेशान अस्त
जन्नत का वो महल जिसकी दरबानी के लिए रिज़वान पहुँचा
दरवेशों की सैर के चमन का एक मंज़र है
आँ-चे ज़र मी-शवद अज़ परतव-ए-आँ-क़ल्ब-ए-सियाह
कीमीयाईस्त कि दर सोहबत-ए-दर्वेशान अस्त
जिसके साए से सियाह दिल सोना बन जाता है
एक ऐसी कीमिया है जो दरवेशों की सोहबत में है
वाँ कि पेशश ब-नेहद ताज-ए-तकब्बुर ख़ुर्शीद
किब्रियाईस्त कि दर हश्मत-ए-दर्वेशान अस्त
जिसके सामने सूरज तकब्बुर का ताज उतार फेंके
वो ऐसी बड़ाई है जो दरवेशों की दौलत में है
दौलते रा कि न-बाशद ग़म अज़ आसेब-ए-ज़वाल
बे-तकल्लुफ़ ब-शिनो दौलत-ए-दर्वेशान अस्त
वो दौलत जिसको ज़वाल के ख़तरा का ग़म न हो
बे-तकल्लुफ़ सुन ले वो दरवेशों की दौलत है
ऐ तवंगर म-फ़रोश ईं हम: नख़वत कि तुरा
सरवरी दर कफ़-ए-हिम्मत-ए-दर्वेशान अस्त
ऐ मालदार तकब्बुर की रूनुमाई न कर इसलिए कि तेरी
सरदारी दरवेशों की तवज्जुह के पहलू में है
ख़ुसरवाँ क़िब्ल:-ए-हाजात-ए-जहानंद वले
सबबश बंदगी-ए-हज़रत-ए-दर्वेशान अस्त
बादशाह जहाँ के क़िब्ला-ए-हाजात हैं लेकिन
उस का सबब दरवेशों के दरबार की गु़लामी है
रू-ए-मक़सूद कि शाहान-ए-जहाँ मी-तलबंद
मज़हरश आइन:-ए-तलअ'त-ए-दर्वेशान अस्त
जिस मक़सूद के चेहरे के दुनिया के बादशाह तालिब हैं
उस का मज़हर दरवेशों के चेहरे का आईना है
गंज-ए-क़ारूँ कि फ़रो मी-रवद अज़ क़हर हनूज़
ख़्वांद: बाशी तु कि अज़ ग़ैरत-ए-दर्वेशान अस्त
क़ारून का ख़ज़ाना जो अब तक क़ह्र की वजह से धँस रहा है
तूने पढ़ा होगा कि दरवेशों की ग़ैरत की वजह से है
अज़ कराँ ता-ब-कराँ लश्करे ज़ुलमस्त अगर
अज़ अज़ल ता-अबद फुर्सत-ए-दर्वेशान अस्त
अगर एक किनारे से दूसरे किनारे तक ज़ुल्म का लश्कर है
तो अज़ल से अबद तक दरवेशों को फ़ुर्सत हासिल है
'हाफ़िज़' ईं जा ब-अदब बाश कि सुल्तान-ओ-मलक
हम: अज़ बन्दगी:-ए-हज़्रत-ए-दर्वेशान अस्त
‘हाफ़िज़’ उस जगह अदब से रह इसलिए कि बादशाह और फ़रिश्ते
सब के सब दरवेशों के दरबार की गु़लामी में हैं
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