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Sheikh Hussamuddin Manikpuri

Manikpur, India

Sufi Quotes of Sheikh Hussamuddin Manikpuri

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मुरीद और पीर का संबंध ऐसा है, जैसे कपड़े में पैबन्द। सच्चा मुरीद, पीर के कहने पर चलता है और उस की मिसाल सफ़ेद कपड़े में लगे सफ़ेद पैबन्द की है, जो धोने पर धुल जाता है और असली कपड़े में ही मिल जाता है। पीर को पहुँचने वाला रूहानी फ़ैज़ ऐसे मुरीद को भी पहुँचता है। रस्मी मुरीद की मिसाल ऐसी है, जैसी सफ़ेद कपड़े पर काला पैबन्द। जिसे पीर का फ़ैज़ तो मिलता है, मगर असली चीज़ कम ही हाथ आती है।

मुरीद अगर एक बार इरादा कर ले, तो उसे अपने पुराने साथियों से मेल-जोल नहीं रखना चाहिए, क्योंकि वे उसे सही रास्ते से भटका सकते हैं और उस के काम में ख़लल डाल सकते हैं। उस को उन की संगत में बैठना चाहिए, क्योंकि वे शैतान-सिफ़त लोग उसे सही रास्ते से भटका देंगे।

इतने मीठे मत बनो कि मक्खियाँ चाटने लगें।

चाहे कोई कितने भी ऊँचे मक़ाम तक पहुँच जाए, क़ुरआन की तिलावत रोज़ाना एक पारा ज़रूर करे।

दरवेश के पास चार चीजें होनी चाहिए : दो पक्की - ईमान और यक़ीन और दो टूटी - दिल और पीर। यहाँ टूटे दिल और पीर का मतलब घमंड होने से है।

दुनिया साए की तरह है और आख़िरत सूरज की तरह। अगर तुम साए को पकड़ना चाहो, नहीं पकड़ सकते। लेकिन सूरज की तरफ़ बढ़ोगे, तो साया अपने आप पीछे-पीछे आएगा।

लालच बीमारी है, सवाल करना बेहोशी है और इनकार करना मौत।

साधक जब ज़िक्र करता है तो आशिक़ बनता है और जब फ़िक्र करता है तो आरिफ़ बनता है।

जुदाई नाम की कोई चीज़ नहीं, या तो वह ख़ुद है, या उसका नूर या उस नूर की परछाईं।

रस्मी मुरीद, अगर नेक होगा तो उस वजह से जाना जाएगा और बुरा होगा तो पीर के तुफ़ैल बख़्शा जाएगा। ये दौलत भी कम नहीं है। बहरहाल! पीर ज़रूर होना चाहिए।

सबके साथ मिल-जुल कर रहो, लेकिन किसी से उलझो मत।

ख़ुदा का फ़ैज़ अचानक आता है, लेकिन सिर्फ़ उस दिल को मिलता है, जो आगाह हो। साधक को चाहिए कि इंतज़ार करता रहे कि ख़ुदा उसे क्या देता है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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