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सूफ़ी शब्दावली
ना'त-ओ-मनक़बत
मर जाए अगर जीते ही जी नफ़्स किसी कासमझो कि हिस-ए-क़ल्ब की इक्सीर बनेगी
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
ग़ज़ल
करता हूँ पस अज़ मर्ग भी हल मुश्किल-ए-आ'लमबे-हिस हूँ पे नाख़ुन की तरह उ'क़्दा-कुशा हूँ
ख़्वाजा मीर दर्द
कलाम
करता हूँ पसज़ मर्ग भी हल मुश्किल-ए-आ'लमबे-हिस हूँ पे नाख़ुन की तरह उ'क़्दा-कुशा हूँ
ख़्वाजा मीर दर्द
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
चार मेख़ चार तबई शहर बंद पंज हिसअज़ पय-ए-दो-जहाँ सेह जाणत ज़ाँ ब-मानद अंदर ज़हीर
हकीम सनाई
ग़ज़ल
'इश्क़' जावे कौन घर इस के ब-जुज़ मुनकिर-नकीरबे-ज़बाँ बे-गोश बे-दिल बे-सुख़न बेहिस के पास
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
बार नाम:-ए-मा-ओ-मन दर आलम-ए-हिस अस्त-ओ-बसचूँ अज़ीं आ'लम बेरूँ रफ़्ती न मा बीनी न मन