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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ज़े-मन ब-शिनो हदीस-ए-बे-कम-ओ-बेशज़े-नज़दीकी तू दूर उफ़्तादी अज़ ख़्वेश
महमूद शबिस्तरी
ग़ज़ल
कैफ़-ओ-कम को देख उसे बे-कैफ़-ओ-कम कहने लगेजब हुदूस अपना खुला राज़-ए-क़िदम कहने लगे
ख़्वाजा मीर दर्द
ना'त-ओ-मनक़बत
मदीने वाले आक़ा ये तो हसरत कम से कम निकलेतुम्हारा रू-ए-अनवर देख कर आँखों का दम निकले
बह्ज़ाद लखनवी
सूफ़ी कहावत
हिसाब-ए-ख़ुद न कम गीर-ओ-न अफ़्ज़ूं
अपने हक़ के बराबर का दावा करें, न कम न ज़्यादा
वाचिक परंपरा
सूफ़ी कहावत
तारुफ़ कम कुन-ओ-बर मब्लग़ अफ़जाय
अपना परिचय को सीमित कीजिए और अपनी पुँजी को बढ़ाइए