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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
रौज़:-ए-ख़ुल्द-ए-बरीं ख़ल्वत-ए-दर्वेशान अस्तमाय:-ए-मोहतशमी ख़िदमत-ए-दर्वेशान अस्त
हाफ़िज़
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ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ुल्द महकी गुम्बद-ए-बे-दर में दरवाज़ा हुआएहतिमाम-ए-सैर-ए-महबूबी शब-ए-असरा हुआ
डॉ. मंसूर फ़रिदी
सूफ़ी लेख
शैख़ सलीम चिश्ती
साल-ए-तरहील-ए-आँ वली-ए-करीमहातिफ़म गुफ़्त बद्र-ए-ख़ुल्द-ए-सलीम
ख़्वाजा हसन निज़ामी
ना'त-ओ-मनक़बत
गुलशन ख़ुल्द मिला ख़ुल्द में दीदार-ए-ख़ुदासरफ़रू शान-ए-मोहम्मद का मुहाल अच्छा है
अरशद अमरोहवी
सूफ़ी लेख
मैकश अकबराबादी
और फिर दा’वे से ये फ़रमा गए ख़ुल्द-आशयाँयाद रखेंगे सदा ख़ासान-ए-मय-ख़ाना मुझे
शशि टंडन
सूफ़ी लेख
सय्यिद सालार मस्ऊद ग़ाज़ी
सालार ग़ाज़ी दर चमन-ए-ख़ुल्द चूँ रसीदग़िलमान-ओ-हूर रा शुदः इमरोज़ रोज़-ए-ई’द
जुनैद अहमद नूर
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
रख्खा तेरी उल्फ़त ने यहीं का न वहीं कारिज़्वाँ जिसे कहता है चमन ख़ुल्द-ए-बरीं का
सुमन मिश्र
ना'त-ओ-मनक़बत
रिज़वान-ए-ख़ुल्द उस को नवाज़ेंगे ख़ुल्द मेंजिस ने वफ़ा निभाई है ख़ैर-उल-वरा के साथ
इल्तिफ़ात अमजदी
ना'त-ओ-मनक़बत
बा-अदब आओ यहाँ पर है दयार-ए-फ़ातिमाख़ुल्द की भी ख़ुल्द है यारो मज़ार-ए-फ़ातिमा
रफ़ीक़ अशरफ़ी
ना'त-ओ-मनक़बत
तू फ़िदा-ए-ख़ुल्द ज़ाहिद मैं हूँ ज़ाएर-ए-मदीनातेरी ख़ुल्द तक रसाई मेरी अ’र्श तक रसाई