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शे'र
कामिल शत्तारी
कलाम
दीदा-ए-ख़ू बना रहो मिन्नत-कश-ए-गुलज़ार क्यूँअश्क-ए-पैहम से निगाहें गुल-ब-दामन हो गईं
अल्लामा इक़बाल
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ख़्वेश रा चूँ ख़ार दीदम सू-ए-गुल ब-गुरेख़्तमख़्वेश रा चूँ तल्ख़ दीदम दर शकर आवेख़्तम
रूमी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
गुल दर बर व मय दर कफ़ व मा'शूक़ः ब-कामस्तसुल्तान-ए-जहानम ब-चुनींं रोज़-ए-ग़ुलामस्त
हाफ़िज़
सूफ़ी कहानी
दूरबीँ-अंधा, तेज़ सुनने वाला बहरा, और दराज़-दामन नंगा - दफ़्तर-ए-सेउम
बच्चे बहुत से मन घड़त क़िस्से कहते हैं। उन कहानियों और पहेलियों में बहुत से राज़
रूमी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-शगुफ़्त गुल दर बोस्ताँ आँ गुंचः-ए-ख़ंदाँ कुजाशुद वक़्त-ए-ऐश-ए-दोस्ताँ आँ लाल: बुस्ताँ कुजा