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सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
ईं ख़ुशामद-गोई चंदीं अब्लहाँरहज़नानंद रहज़नानंद रहज़नाँ
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
सत संगति महिमा नहिं गोई। तदपि कह बिनु रहा न कोई।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
कि लुत्फ़-ए-देवगेरी अज़ कताँ बेश।।ज़े-लुत्फ़ आँ जाम: गोई आफ़ताबेस्त।
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
कि लुत्फ़-ए-“देव गीरी” अज़ कताँ बेश।।ज़े-लुत्फ़ आँ जामः गोई आफ़्ताबेस्त।
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सुल्तानुल-मशाइख़ और उनकी ता’लीमात - आयतुल्लाह जा’फ़री फुलवारवी
आईन-ए-जवाँ मर्दां हक़-गोई-ओ-बे-बाकी।अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही।।
मुनादी
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
गुन गा अमीर के, बजा क़सीदा-गोई करज़ाहिर कर दुनिया के क़रीब, हम रईयत कैसी ख़ुशनसीब
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
14۔ हम-रह-ए-ग़ैरे-ओ-मी-गोई कि उ’र्फ़ी हम बियालुत्फ़ फ़रमूदी बरो कीं पाए रा रफ़्तार नीस्त
ज़माना
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
सुख़न-फ़ह्मी सुख़न-गोई से भी मुश्किल है ऐ सालिकमिले क्या दाद ना-फ़ह्मों से शे’र अपने सुनाने पर
सुमन मिश्र
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
न-गोई कज़ चे मी-गीरद चकाव इलहान-ए-मूसीक़ारन-गोई कज़ चे मी-बाफ़द तज़र्व अन्वा-ए-सक़लातूँ