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राग आधारित पद
होली पर्व- कोई उत जिन जैयों ठाढ़ो श्याम चित चोर।
कोई उत जिन जैयों ठाढ़ो श्याम चित चोर।रोके छैल गेल पनघट की, बंशी बट की ओर।
फरहत
राग आधारित पद
टोड़ी, चौताल- मेरैं तौ हरि नाम कौ आधार, जिन रचौ संसार
जिन रच्यौ अरस-कुरस जिमी-आसमान,निरंजन निराकार साँचौ, क्यों न सेवौ परबरदिगार।।
विलास ख़ान
सलाम
जिन के हैं ये दो-जहाँ जिन के हैं कौन-ओ-मकाँजिन के हैं ये सुब्ह-ओ-शाम उन पे दुरूद और सलाम
बह्ज़ाद लखनवी
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कविता
काफ़ी - वाह फ़रीदा वाहु जिन लाए प्रेम कली
काफ़ी - वाह फ़रीदा वाहु जिन लाए प्रेम कलीसुनत फ़र्ज़ तबाबिया रोजे रखन तीह
बाबा फ़रीद
ना'त-ओ-मनक़बत
वो जिन की याद में महफ़िल सजी सरकार-ए-जीलाँ हैंवो जिन के नाम से बिगड़ी बनी सरकार-ए-जीलाँ हैं
सज्जाद हुसैन क़ादरी
कलाम
फ़लक देता है जिन को 'ऐश उन को ग़म भी होते हैंजहाँ बजते हैं नक़्क़ारे वहाँ मातम भी होते हैं
दाग़ देहलवी
ना'त-ओ-मनक़बत
जिन को भी मा’लूम है शान-ए-वक़ार-ए-फ़ातिमाअपने सर करते हैं फ़र्श-ए-रह-गुज़ार-ए-फ़ातिमा
मुहम्मद इरफ़ान
ना'त-ओ-मनक़बत
जिन के भी दिल में होती है उल्फ़त ग़ौस-ए-पाक कीवो अपना लेता है हर पल सीरत ग़ौस-ए-पाक की
शारिक़ रब्बानी
कलाम
आरज़ू लखनवी
ना'त-ओ-मनक़बत
ये इंसाँ जिन के फ़ैज़ान-ए-करम से आज इंसाँ हैउन्हीं की मिद्हत-ओ-तौसीफ़ मेरा दीन-ओ-ईमाँ है
क़सिमुल हक़ गयावी
ना'त-ओ-मनक़बत
वक़्फ़ थे क़ुदसी-ए-अज़ल से जिन की ता’अत के लिएआए वो दुनिया में दुनिया की हिदायत के लिए