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गूजरी सूफ़ी काव्य
'बाजन' जो किसी के ऐब ढाँपे
'बाजन' जो किसी के ऐब ढाँपेउस थी दर्जन थर-थर काँपे
शैख़ बहाउद्दीन बाजन
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
उसका काम था अमीर की एक सौ साठ दाश्ताओं पर बराबर नज़र रखना और उन्हें इतना
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
हिंदी में संतसाहित्य की रचना का आरंभ, कबीर के समय अर्थात् 15वीं शताब्दी से होना कहा
हिंदुस्तानी पत्रिका
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
ख़ोजा नसरुद्दीन एक बार में ही ढेर-सा खाना खा सकता था। एक बार में उसने तीन
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
हिंदी में संतसाहित्य की रचना का आरंभ, कबीर के समय अर्थात् 15वीं शताब्दी से होना कहा