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सूफ़ी शब्दावली
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ पर
अकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ना'त-ओ-मनक़बत
है नूर-ए-निगाह-ए-शह-ए-यहया शरफ़ुद्दीन
मलजा मिरा मावा मिरा आक़ा शरफ़ुद्दीन
शाह मुरादुल्लाह मनेरी
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ना'त-ओ-मनक़बत
अयाज़ वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
निगाह-ए-लुत्फ़-ए-पयम्बर मु'ईनुद्दीन अजमेरी
’अता-ए-ख़ालिक़-ए-अकबर मु'ईनुद्दीन अजमेरी
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
कलाम
अपनी निगाह-ए-शौक़ को रोका करेंगे हम
वो ख़ुद करें निगाह तो फिर क्या करेंगे हम
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
ना'त-ओ-मनक़बत
शहबाज़ असदक़
ना'त-ओ-मनक़बत
पयाम सैहालवी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ुदा के नूर से रौशन हुआ है दो-जहाँ बे-शक
कि उस के मो'तरिफ़ हैं ये ज़मीन-ओ-आसमाँ बे-शक