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खंडकाव्य
इंद्रावति -जीव कहानी खंड
कबहूं-कबहूं रूप पियारी। आवत जहँ निर्मल फुलवारी।फुलवारी द्वारें दुइ वीरा। काढे खडग रहै रनधीरा।
नूर मोहम्मद
कविता
कुसुम समूह खिच विटप लतान माँहि,
बिन घनश्याम मोहिं कदन करनवारी ,जम की सवारी फुलवारी है बसन्त की ।।
चंद्रकला बाई
सूफ़ी लेख
उ’र्स-ए-बिहार शरीफ़
कुफ़्फ़ार रा ज़े-बीख़ बर आवर्द-ओ-दूर कर्द-हसन अज़ फुलवारी शरीफ़
निज़ाम उल मशायख़
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महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
फूल माल मो करि चितै तू कत भई उदास।कहा भयो तू सासुरे जो फुलवारी पास।।288।।
रसलीन
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
पलुही नागमती कै बारी। सोन फूल फूली फुलवारी।1 जावँत पंखि अहे सब डहे। वे बहुरे बोलत गहगहे।2
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
जनाब मोहसिन की फ़िहरिस्त में बड़े बड़े उ’लमा-ओ-सियासी हज़रात शामिल हैं ।उनमें सर सय्यिद अ’ली इमाम
रय्यान अबुलउलाई
ग़ज़ल
कितनी सुंदर कितनी प्यारी फुलवारी है दुनिया कीफूलों और काँटों ने मिल कर कैसा रंग जमाया है
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
पद
तू सूरत नहीं निहार वह अंड में सारा है
बाग-बगीचे खिली फुलवारी अमृत लहरै हो रही जारीहंसा केल करत तहँ भारी जहँ अनहद घूरै अपारा है
कबीर
पद
साधना का फल - अमी की बरखा हुई भारी भींज रही अतर सुत प्यारी
अमी की बरखा हुई भारी भींज रही अतर सुत प्यारीसजी जहँ तहँ कंवलन क्यारी शब्द गुल फूली फुलवारी
शालीग्राम
नज़्म
जोगी-नामः
फूल-फुलवारी की भी जब से नहीं कुछ परवाहजब से गुल खा के अता में जलाया है बदन