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सूफ़ी लेख
Krishna as a symbol in Sufism
देखिये होगा सिरीकृष्न का दरशन क्यूँकरसीना–ए–तंग में दिल गोपियों का है बेकल
बलराम शुक्ल
दकनी सूफ़ी काव्य
दीवाने सुलतान
अब किये है निकल मुज ते जुदाई की ग़मी सबमग़रूर हुआ दिल ओ बेकल उस कल मेहनत व ग़म ते
शाह सुल्तान सानी
राग आधारित पद
अब तुमका हम चीन्हा सँवलिया
सगरी रैन मोहे तड़पत बीतीकल से बेकल कुंभा सँवलिया
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
नज़्म
सम्त-ए-काशी से चला जानिब-ए-मथुरा बादल
मेज़बाँ बन के नकीरैन कहें घर है तिरान उठाना कोई तकलीफ़ न होना बेकल
मोहसिन काकोरवी
साखी
बिरह का अंग - देखत देखत दिन गया निस भी देखत जाय
देखत देखत दिन गया निस भी देखत जायबिरहिन पिय पावै नहीं बेकल जिय घबराए
कबीर
क़िस्सा
पेम कहानी
ऐ बै-रागी जीवरे कहा लगौ तोहे आएरेन-दिना बेकल रही अपना माँस तू खाए
दोस्त मोहम्मद अबुलउलाई
दकनी सूफ़ी काव्य
ऐ पंच-भूत क्या है चुप इतना साँसा
दिया आज सो ओ ई चे फिर देवेगा कलनको हो तूँ चुप कल कू धोका सू बेकल
शाह मियाँ तुराब दकनी
दकनी सूफ़ी काव्य
रिसाला बारह बहार
दिया आज सो ओ ई चे फिर देवेगा कलनको हो तूँ चुप कल कू धोका सू बेकल