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कुंडलिया
साई बेटा बाप के, बिगरे भयो अकाज।
गयउ दुहुन को राज, बाप बेटा में बिगरी।दुस्मन दावागीर, हंसै महिमंडल नगरी।।
गिरिधर कविराय
कुंडलिया
बेटा बिगरे बाप सों, करि तिरियन सों नेहु।
बेटा बिगरे बाप सों, करि तिरियन सों नेहु।लटापटी होने लगी, मोंहि जुदा करि देहु।।
गिरिधर कविराय
पद
आपहि अपना बाप महतारी आपहि अपना बेटा
आपहि अपना बाप महतारी आपहि अपना बेटाआपहि अपना गुरु फिर चेला कालकहरसे झूटा
देवनाथ महाराज
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कुंडलिया
साईं वैर न कीजिये, गुरु पण्डित कवि यार ।
साईं वैर न कीजिये, गुरु पण्डित कवि यार ।बेटा बनिता पौरिया, यज्ञ करावन हार ।।
साई
कुंडलिया
साईं ऐसे पुत्र ते वांझ रहे बरु नारि ।
साईं ऐसे पुत्र ते बांझ रहे बरु नारि ।विगरे बेटा बाप से जाय रहे ससुरारि ।
साई
काफी
मूंह आई बात ना रहन्दी ए
ऐसा बेटा जाइआ माई ए सभ कलमा उस दा कहन्दी ए ।मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
बुल्ले शाह
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
"जन्नतुल-फ़िर्दौस मक़ाम-ए-अबदी शुद" (1336 हिज्री)इस पहले निकाह से आपको एक बेटी और एक बेटा पैदा हुए:
रय्यान अबुलउलाई
कविता
मौत और घसियारा
किसी गांव मे इक घसियारा । रहता था किस्मत का मारा ।बेटा बेटी जोडू जाता। कोई न थे अल्ला से नाता ।।
श्रीमती गोपाल देवी
कुंडलिया
गुरुदेव - हाथी घोड़ा ख़ाक है कहै सुनै सो ख़ाक
जोरू बेटा ख़ाक ख़ाक जो साचै मानामहल अटारी ख़ाक ख़ाक है बाग बग़ैचा
पलटू साहेब
ना'त-ओ-मनक़बत
फ़ातिह-ए-ख़ैबर का बेटा फ़ातिमा का लाडलाऔर नबी-ए-पाक के दिलदार हैं मेरे हुसैन