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गूजरी सूफ़ी काव्य
मोटा पहेरूँ के पर झीनाँ
मोटा पहेरूँ के पर झीनाँज़ाहिर बातिन जे रंग भीनाँ
शाह अली जीव गामधनी
गूजरी सूफ़ी काव्य
गधा चरे तो हो दुबला न नखें मोटा होए
गधा चरे तो हो दुबला न नखें मोटा होएन जानो खाए किस दुखों झर-झर पिंजरा होए
शैख़ बहाउद्दीन बाजन
पद
अनिर्वचनीय माया - ष्याली तेरै ष्याल का, कोई अंत न पावै।
सुन्दर घटत न देषिये, यह अचिरज मोटा।।
सुंदरदास छोटे
दकनी सूफ़ी काव्य
तोहफ़तुल अहबाब और तोहफ़तुल निसा
था उसके ऊपर लिबास मोटाबाला से शुतर के ऐ
मोहम्मद बाक़र आगाह
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(111) मोटा पतला सब को भावे। दो मीठों का नाम धरावे।।सकरकंद
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(111) मोटा पतला सब को भावे। दो मीठों का नाम धरावे।। -शकरकंद
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
शबद
हरदम याद करो साहेब ने झूठा मर्म जजाला है
राम नाम धन मोटा साधो जिसका सकल पसारा हैमाया मोह दो पाट जबर हैं चून पिसा जग सारा है
घीसा साहेब
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
"कोई न कोई तो क़िस्मतवाला होगा ही।""काश, मैं ही वह कोई होता!" एक मोटा काहिल पहरेदार
लियोनिद सोलोवयेव
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
सबेरे तड़के मोअज़्ज़िन ने फिर मीनारों से अज़ान दी। फाटक खुले और कारवां धीरे-धीरे दाख़िल हुआ।घंटियां
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी कहानी
कहानी-34- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
फ़क़ीर स्वादिष्ट भोजन खाने लगा और क़ीमती वस्त्र पहनने लगा। भोग-विलास में पड़कर फ़क़ीर का मन
सादी शीराज़ी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम अहमद चर्म-पोश
इसलिए: शैख़ हुसैन मह्सवी ने मोटा कपड़ा (धक्कड़) ख़रीद लिया और शैख़ अहमद ने चमड़ा ले
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
बिहारीरत्नाकर में हमने 3 अंक की पुस्तक के अनुसार बिहारी का निज क्रम ही रखा है।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
क्राशा के भभकते हृदय में ओज है उमंग है रस है राग है। स्वर्गीय थेरेसा की