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ना'त-ओ-मनक़बत
जन्नत-उल-फ़िरदौस से बेहतर है जा-ए-ग़ौस-ए-पाकख़ुल्द में रिज़वाँ भी करता है सना-ए-ग़ौस-ए-पाक
अज्ञात
ना'त-ओ-मनक़बत
मेरा का’बा-ए-तमन्ना दर-ए-पाक-ए-मुस्तफ़ाईमेरी ज़िंदगी का हासिल उसी दर की जब्हा-साई
बह्ज़ाद लखनवी
ना'त-ओ-मनक़बत
दिल-रुबा है किस क़दर शान-ए-जमाल-ए-ग़ौस-ए-पाकहै जहाँ शैदा-ए-हुस्न-ए-बे-मिसाल-ए-ग़ौस-ए-पाक
शकील बदायूँनी
ना'त-ओ-मनक़बत
इक इक वली रहीन-ए-करम ग़ौस-ए-पाक काहै सब की गर्दनों पे क़दम ग़ौस-ए-पाक का
पीर नसीरुद्दीन नसीर
सूफ़ी उद्धरण
रूह की गहराई से निकली हुई बात रूह की गहराई तक ज़रूर जाएगी।
रूह की गहराई से निकली हुई बात रूह की गहराई तक ज़रूर जाएगी।
वासिफ़ अली वासिफ़
ना'त-ओ-मनक़बत
आँखों में मेरी मिस्ल-ए-नज़र ग़ौस-ए-पाक हैंदिल है मिरा सदफ़ तो गुहर ग़ौस-ए-पाक हैं